संत पंचमी से प्रकृति और जीवों में बढ़ने लगती है जीवन शक्ति


देवी सरस्वती का प्राकट्य दिवस है बसंती पंचमी

नए साल का दूसरा बड़ा त्योहार बसंत पंचमी है। जो कि मंगलवार, 16 फरवरी को है। इस दिन चंद्रमा रेवती नक्षत्र और मीन राशि में रहेगा। जिससे शुभ नाम का व्हीकल खरीदारी का मुहूर्त भी बन रहा है। माघ महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि होने से इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन विवाह और अन्य मांगलिक काम किए जाते हैं। लेकिन इस बार गुरु और शुक्र तारा अस्त होने से इस दिन शादी के लिए मुहूर्त नहीं है।

प्रकृति और जीवों में बढऩे लगती है जीवन शक्ति

भारत की छ: ऋतुओं में वसंत ऋतु विशेष है। इसलिए इसे ऋतुराज या मधुमास भी कहते हैं। बसंत पंचमी प्रकृति के अद्भुत सौन्दर्य और श्रृंगार का संकेत देता है। वसंत पंचमी से पेड़-पौधों और प्राणियों में जीवन शक्ति का संचार होने लगता है। प्रकृति में नयापन आने लगता है। इस पर्व के बाद शुरू होने वाली बसंत ऋतु में फसलें पकने लगती हैं और पीले फूल भी खिलने लगते हैं। भगवान श्री कृष्ण वसंत पंचमी उत्सव के अधि-देवता हैं इसलिए ब्रज में ये उत्सव उल्लास और बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। सभी मंदिरों में उत्सव और भगवान के विशेष श्रृंगार होते हैं।

देवी सरस्वती को लगता है खीर और मिठाई का भोग

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, माघ महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती का प्राकट्य दिवस मनाया पंचमी तिथि को देवी सरस्वती का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। ग्रंथों में बताया गया है कि इस दिन देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। तब देवताओं ने देवी की स्तुति की। स्तुति से वेदों की ऋचाएं बनीं और उनसे वसंत राग। इसलिए इस दिन को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती की विशेष पूजा होती है। बच्चों का विद्यारंभ संस्कार भी इसी दिन किया जाता है। इस पर्व पर देवी सरस्वती को खीर या मिठाई का भोग लगाया जाता है। उसके बाद बच्चे को पहली बार ये प्रसाद खिलाकर अन्नप्राशन संस्कार भी किया जाता है। इस साल पंचमी तिथि 16 फरवरी को सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाएगी और अगले दिन सुबह तक और अगले दिन सुबह तक रहेगी। इसलिए इस दिन पंचमी तिथि में देवी की पूजा और सभी शुभ काम किए जाएंगे। मंगलवार और पूर्णा तिथि होने से इस दिन हर तरह की खरीदारी की जा सकेगी।